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मेरे गणराज आये है (Mere Ganaraj Aaye Hai)

वक्रतुण्ड महाकाय,

सूर्यकोटि समप्रभ:,

निर्विघ्नं कुरु मे देव,

सर्वकार्येषु सर्वदा ॥


पूजा होती है आपकी,

हे सिद्धि के दाता सर्वदा,

जय हो आपकी।

आप घर आए मेरे,

हम पर कृपा हुई,

हम सब भक्तो की बप्पा,

दुनिया ही गुलशन हुई।

अपनी दया की दृष्टि से,

किरपा करो सब भक्तो पर,

सेवा करेंगे हम सभी,

आकर के तेरी चौखट पर ॥


सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आये है,

लगे कुटिया भी दुल्हन सी,

देव सरताज आए है,

सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आए है ॥


नयन गंगा बहाकर के,

पखारों इनके चरणों को,

मेरे गणराया के संग संग,

मेरे गणराया के संग संग,

ये मूषकराज आए है,

सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आए है ॥


कभी रीझे ना ये धन पे,

पुकारा हमने है मन से,

दुखो को दूर कर सबके,

दुखो को दूर कर सबके,

बचाने लाज आए है,

सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आए है ॥


उमड़ आई मेरी अँखियाँ,

देखकर अपने बप्पा को,

हमारी बिगड़ी किस्मत को,

हमारी बिगड़ी किस्मत को,

बनाने आज आए है,

सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आए है ॥


सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आये है,

लगे कुटिया भी दुल्हन सी,

देव सरताज आए है,

सजा दो घर को फूलों से,

मेरे गणराज आए है ॥

मां नर्मदा की पूजा-विधि

प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाने का विधान है। इस दिन मां नर्मदा की विशेष रूप से यह जयंती मनाई जाती है।

दशहरा पूजन विधि

हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।

कभी दुर्गा बनके, कभी काली बनके (Kabhi Durga Banke Kabhi Kali Banke)

कभी दुर्गा बनके,
कभी काली बनके,

मां काली की पूजा विधि

मां काली को शक्ति, विनाश और परिवर्तन की प्रतीक हैं। उन्हें दुर्गा का एक रूप माना जाता है और वे दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां काली का रूप उग्र और भयानक है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए सुरक्षा प्रदान करती हैं।