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म्हारी हुंडी स्वीकारो महाराज रे सांवरा गिरधारी (Mari Hundi Swikaro Maharaj Re)

म्हारी हुंडी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हाने एक छे थारो आधार रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हारी हुण्डी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी ॥


राखि पत प्रहलाद की,

धर नरसिंह अवतार,

खम्भ फाड़ प्रकट भए,

तारयो भूमि को सारो भार रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हारी हुण्डी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी ॥


पूंजी गोपी चंदन मेरो,

तुलसी सोने रो हार,

साँचा गहना सांवरा,

म्हारी दौलत छे,

झांझ कड़ताल रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हारी हुण्डी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी ॥


राणा जी ने विष दियो,

छल मीरा रे साथ,

प्याला विष अमृत भयो,

राखि भक्ता की जाती लाज रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हारी हुण्डी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी ॥


म्हारी हुंडी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हाने एक छे थारो आधार रे,

सांवरा गिरधारी,

म्हारी हुण्डी स्वीकारो महाराज रे,

सांवरा गिरधारी ॥

फरवरी 2025 में इष्टि कब है

इष्टि यज्ञ वैदिक काल के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। संस्कृत में ‘इष्टि’ का अर्थ ‘प्राप्ति’ या ‘कामना’ होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और जीवन में समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।

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जय हो, जय हो महाकाल राजा (Jai Ho Jai ho Mahakal Raja)

जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ।

आरती श्री राम रघुवीर जी की (Aarti Shri Ram Raghuveer Ji Ki)

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन।
हरण दुख द्वन्द, गोविन्द आनन्दघन॥