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मानो तो मैं गंगा माँ हूँ - भजन (Mano Toh Main Ganga Maa Hun)

मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,

ना मानो तो बहता पानी,

जो स्वर्ग ने दी धरती को,

में हूँ प्यार की वही निशानी,

मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,

ना मानो तो बहता पानी ॥


युग युग से मैं बहती आई,

नील गगन के नीचे,

सदियो से ये मेरी धारा,

ये प्यार की धरती सींचे,

मेरी लहर लहर पे लिखी है

मेरी लहर लहर पे लिखी है

इस देश की अमर कहानी,

मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,

ना मानो तो बहता पानी ॥


हरी ॐ, हरी ॐ, हरी ॐ॥

हरी ॐ, हरी ॐ, हरी ॐ॥


कोई वजब करे मेरे जल से,

कोई वजब करे मेरे जल से,

कोई मूरत को नहलाए,

कही मोची चमड़े धोए,

कही पंडित प्यास बुझाए,

ये जात धरम के झगड़े ओ,

ये जात धरम के झगड़े,

इंसान की है नादानी,

मानो तो मैं गंगा मा हूँ,

ना मानो तो बहता पानी ॥


हर हर गंगे हर हर गंगे ॥

हर हर गंगे हर हर गंगे ॥


गौतम अशोक अकबर ने,

यहा प्यार के फूल खिलाए,

तुलसी ग़ालिब मीरा ने,

यहा ज्ञान के दिप जलाए,

मेरे तट पे आज भी गूँजे,

मेरे तट पे आज भी गूँजे,

नानक कबीर की वाणी

मानो तो मैं गंगा मा हूँ,

ना मानो तो बहता पानी ॥


मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,

ना मानो तो बहता पानी,

मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,

ना मानो तो बहता पानी ॥

हे गणपति हे गणराज, आपका अभिनन्दन (Hey Ganpati Hey Ganraj Aapka Abhinandan)

हे गणपति हे गणराज,
आपका अभिनन्दन,

वृन्दावन हम चलेंगे राधे राधे गाते गाते (Vrindavan Hum Chalenge Radhey Radhey Gaate Gaate)

वृन्दावन हम चलेंगे राधे राधे गाते गाते,
वृन्दावन हम चलेंगे राधे राधें गाते गाते,

मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा (Murakh Bande Kya Hai Re Jag Me Tera)

ओ मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा,

अगहन को मार्गशीर्ष क्यों कहते हैं

मार्गशीर्ष मास धर्म, भक्ति और ज्योतिषीय महत्व से परिपूर्ण एक विशिष्ट मास माना जाता है। यह मास भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और इसे अत्यंत शुभ भी माना जाता है।