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मन के मंदिर में प्रभु को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है,

खेलना पड़ता है जिंदगी से,

भक्ति इतनी भी सस्ती नहीं है,

मन के मंदिर में प्रभू को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है ॥


प्रेम मीरा ने मोहन से डाला,

उसको पीना पड़ा विष का प्याला,

जब तलक ममता है ज़िन्दगी से,

उसकी रहमत बरसती नहीं है,

मन के मंदिर में प्रभू को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है ॥


तन पे संकट पड़े मन ये डोले,

लिपटे खम्बे से प्रहलाद बोले,

पतितपावन प्रभु के बराबर,

कोई दुनिया में हस्ती नहीं है,

मन के मंदिर में प्रभू को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है ॥


संत कहते हैं नागिन है माया,

जिसने सारा जगत काट खाया,

कृष्ण का नाम है जिसके मन में,

उसको नागिन ये डसती नहीं है,

मन के मंदिर में प्रभू को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है ॥


मन के मंदिर में प्रभु को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है,

खेलना पड़ता है जिंदगी से,

भक्ति इतनी भी सस्ती नहीं है,

मन के मंदिर में प्रभू को बसाना,

बात हर एक के बस की नहीं है ॥


नमामी राधे नमामी कृष्णम(Namami Radhe Namami Krishnam)

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,

नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में निवास कर रहे थे।

श्री गायत्री चालीसा (Sri Gayatri Chalisa)

हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥

जय गणेश जय गजवदन, कृपा सिंधु भगवान (Jai Ganesh Jai Gajvadan Kripa Sindhu Bhagwan)

जय गणेश जय गजवदन,
कृपा सिंधु भगवान ।

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