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मैया ओढ़ चुनरिया लाल, के बैठी कर सोलह श्रृंगार (Maiya Odh Chunariyan Lal Ke Bethi Kar Solha Shingar)

मैया ओढ़ चुनरिया लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


लाल चुनरियाँ चम चम चमके,

रोली को टीको दम दम दमके,

थारे हाथ मेहंदी लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


पगल्या री पायल छम छम छमके,

हाथां रो चुड़लो खन खन खनके,

थारे गल हीरा को हार,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


खोल खजानो बैठी मेरी मईया,

जो चाहे सो मांग लो भईया,

म्हारी मईया लखदातार,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


मैया ओढ़ चुनरिया लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥

लागी लगन शंकरा - शिव भजन (Laagi Lagan Shankara)

भोले बाबा तेरी क्या ही बात है,
भोले शंकरा तेरी क्या ही बात है,

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी धार्मिक दृष्टि से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगवान कृष्ण की अद्भुत लीलाओं और शिक्षाओं को स्मरण करने का दिवस माना जाता है।

अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् (Ath Tantroktam Ratri Suktam)

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् यानी तंत्र से युक्त रात्रि सूक्त का पाठ कवच, अर्गला, कीलक और वेदोक्त रात्रि सूक्त के बाद किया जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब मनाई जा रही

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को साल की आखिरी पूर्णिमा तिथि होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।