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मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ (Main To Shiv Hi Shiv Ko Dhyau)

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,

जल से स्नान कराऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढ़ाऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढ़ाऊँ,

और आक धतूरा ल्याऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥


मैं तो जलधारा बरसाऊँ,

मैं तो जलधारा बरसाऊँ,

और अगड़बंब मुख गाऊँ,

और अगड़बंब मुख गाऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥


तब प्रसन्न भए शिव राजा,

तब प्रसन्न भए शिव राजा,

वर माँगो सारू काजा,

वर माँगो सारू काजा ॥


मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये ॥


धन नरसी बुद्धि तिहारी,

धन नरसी बुद्धि तिहारी,

ते तो वर मांग्यो अति भारी,

ते तो वर मांग्यो अति भारी ॥


अस बुद्धि और को पावे,

अस बुद्धि और को पावे,

हरि भक्तन को हरि भावे,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये ॥


मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,

जल से स्नान कराऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढाऊँ,

और आक धतूरा ल्याऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥

वृश्चिक संक्रांति का मुहूर्त

भगवान सूर्य देव की उपासना का दिन वृश्चिक संक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार में से एक है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को धन वैभव की प्राप्ति के साथ दुःखों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है इस साल वृश्चिक संक्रांति कब हैं। वृश्चिक संक्रांति 2824 को लेकर थोड़ा असमंजस है।

काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू - भजन (Kashi Nagri Se Aaye Hai Shiv Shambhu)

सुनके भक्तो की पुकार,
होके नंदी पे सवार,

बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना (Bina Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona)

लगी चोट रघुवर के तब ऐसी मन में,
रोके सुग्रीव से बोले जाओ,

करनल करुणा-सिंधु कहावै (Karnal Karuna Sindhu Kahavai)

देवी मढ़ देसाण री,
मेह दुलारी माय ।

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