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माँ का नाम जपे जा हर पल(Maa Ka Naam Jape Ja Har Pal)

माँ का नाम जपे जा हर पल,

लागे ना कोई मोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


माता रानी की मन्त्र जो जपते,

माँ को लगते प्यारे,

महारानी माँ वैष्णो का तू,

निशदिन ध्यान लगा ले,

मन की अंगूठी में तू जड़ ले,

ये हीरा अनमोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


जिसने जो माँगा दे डाली,

ऐसी है माँ दानी,

इनसे ना कोई भेद छुपा है,

सबके मन की जानी,

सबकी नेकी बदिया रही माँ,

सच की तराजू तोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


लाल चुनरिया ओढ़ के बैठी,

गुफा में पिंडी रानी है,

माँ की महिमा कैसे जाने,

हम मूरख अज्ञानी है,

यहाँ वहां मत ढूढ़ सरल तू,

भीतर अपने टटोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


माँ का नाम जपे जा हर पल,

लागे ना कोई मोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥

श्री ब्रह्मा चालीसा (Shri Brahma Chalisa)

जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल।
करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल।

लेके पूजा की थाली

लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली
तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

प्रभु रामचंद्र के दूता (Prabhu Ramachandra Ke Dootha)

प्रभु रामचंद्र के दूता,
हनुमंता आंजनेया ।

जब निर्वस्त्र होकर नहा रहीं गोपियों को नटखट कन्हैया ने पढ़ाया मर्यादा का पाठ

भगवान विष्णु ने रामावतार लेकर जगत को मर्यादा सिखाई और वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं कृष्णावतार में भगवान ने ज्यादातर मौकों पर मर्यादा के विरुद्ध जाकर अपने अधिकारों की रक्षा और सच को सच कहने साहस हम सभी को दिखाया।

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