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लाऊँ कहाँ से, भोलेनाथ तेरी भंगिया(Lau Kaha Se Bhole Nath Teri Bhangiya)

लाऊँ कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया,

ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,

मैं तो हार गया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,

आप कहो झट से ल्याऊँ,

चांदी के पाटो पर बैठो,

कंचन थाल मैं सजवाऊं,

मानो मानो जी भंगिया के रसिया,

मानो मानो जी भंगिया के रसिया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


आप कहो तो भोले शंकर,

माँ गौरा को बुलवाऊं,

कार्तिक जी गणपति जी को मैं,

तुरंत संदेसा भिजवाऊं,

बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,

बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


चंद्र निराला मस्तक सोहे,

अंग विभूति रमी हुई,

नाग भयंकर गले में लिपटे,

गंग जटा से बहती हुई,

डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,

डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


लाऊँ कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया,

ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,

मैं तो हार गया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥

अनमोल तेरा जीवन, यूँ ही गँवा रहा है (Anmol Tera Jeevan Yuhi Ganwa Raha Hai)

अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गँवा रहा है,

गुरु प्रदोष व्रत: शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ

प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित तिथि है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत का वर्णन और महत्व धार्मिक ग्रंथों और पंचांग में बताया गया है।

लाली लाली लाल चुनरियाँ (Laali Laali Laal Chunariya)

लाली लाली लाल चुनरियाँ,
कैसे ना माँ को भाए ॥

शिव के रूप में आप विराजें, भोला शंकर नाथ जी (Shiv Ke Roop Mein Aap Viraje Bhola Shankar Nath Ji)

शिव के रूप में आप विराजे,
भोला शंकर नाथ जी ॥

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