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लल्ला की सुन के मै आयी यशोदा मैया देदो(Lalla Ki Sun Ke Mai Aayi Yashoda Maiya Dedo Badhai)

लल्ला की सुन के मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

कान्हा की सुनके मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

लाला जनम सुन आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


देदो बधाई मैया देदो बधाई,

लल्ला की सुन के मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


टीका भी लूँगी मैया,

बिंदियां भी लूँगी,

रेशम की लूँगी रजाई,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


साड़ी भी लूँगी मैया,

लहँगा भी लूँगी,

धोती भी लूँगी मैया,

कुर्ता भी लूँगी,

पगडि की होगी चढ़ाई,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


हरवा भी लूँगी मैया,

चुड़ि भी लूँगी,

कंगना पे होगी चढ़ाई,

यशोदा मैया देदो बधाई।


चन्द्र सखी भज,

बाल कृष्ण छवि,

नित नित जाऊँ बलिहारी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


लल्ला की सुन के मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

कान्हा की सुनके मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

लाला जनम सुन आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।

साल में दो दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के बारे में जो मनाते हैं अलग-अलग जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।

तूने जीना सिखाया भोलेनाथ जी (Tune Jeena Sikhaya Bholenath Ji)

तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,

श्री ब्रह्मा चालीसा (Shri Brahma Chalisa)

जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल।
करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल।

मै हूँ बेटी तू है माता: भजन (Main Hoon Beti Tu Hai Mata)

मै हूँ बेटी तू है माता,
ये है जनम-जनम का नाता ।

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