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क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी (Kshama Karo Tum Mere Prabhuji)

क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,

अब तक के सारे अपराध


धो डालो तन की चादर को,

लगे है उसमे जो भी दाग

॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥


तुम तो प्रभुजी मानसरोवर,

अमृत जल से भरे हुए


पारस तुम हो, इक लोहा मै,

कंचन होवे जो ही छुवे


तज के जग की सारी माया,

तुमसे कर लू मै अनुराग


धो डालो तन की चादर को,

लगे है उसमे जो भी दाग

॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥


काम क्रोध में फंसा रहा मन,

सच्ची डगर नहीं जानी


लोभ मोह मद में रहकर प्रभु,

कर डाली मनमानी


मनमानी में दिशा गलत लें,

पंहुचा वहां जहाँ है आग


धो डालो तन की चादर को,

लगे है उसमे जो भी दाग

॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥


इस सुन्दर तन की रचना कर,

तुमने जो उपकार किया


हमने उस सुन्दर तन पर प्रभु,

अपराधो का भार दिया


नारायण अब शरण तुम्हारे,

तुमसे प्रीत होये निज राग


क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,

अब तक के सारे अपराध


धो डालो तन की चादर को,

लगे है उसमे जो भी दाग

॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥

मासिक जन्म अष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा विधि

हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की अष्टमी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विश्व में कृष्ण भक्तों के द्वारा खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है।

भजामि शंकराये नमामि शंकराये (Bhajami Shankaraye Namami Shankaraye)

भजामि शंकराये नमामि शंकराये,
त्रिलोचनाये शूलपाणी चंद्र शेखराये,

मगन ईश्वर की भक्ति में (Magan Ishwar Ki Bhakti Me Are Mann Kiyon Nahin Hota)

मगन ईश्वर की भक्ति में,
अरे मन क्यों नहीं होता।

हर हाल में खुश रहना (Har Haal Me Khush Rehna)

हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
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