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कितना प्यारा है सिंगार (Kitna Pyara Hai Singar)

कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


सांवरिया तुमको किसने सजाया है,

तुझे सुन्दर से सुन्दर कजरा पहनाया है,

कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


केशर चन्दन तिलक लगाकर,

सज धज कर के बैठ्यो है,

लग गए तेरे चार चाँद जो,

पहले तो निहार

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


सांवरिया तेरा चेहरा चमकता है

तेरा कीर्तन बहुत बड़ा,

दरबार महकता है,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


किसी भगत से कह कर कान्हा,

काली टिकी लगवाले

या फिर तू बोले तो लेउ,

नूनराइ वार,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा हैं ॥


सांवरिया तेरे भगतो को तेरी फ़िक्र

कही लग ना जाये तुझे,

दुनिया की बुरी नज़र,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


पता नहीं तू किस रंग का है,

आज तलक ना जान सकी,

बनवारी हमने देखे है तेरे रंग हजार,

कितना प्यारा हैं,

ओ हो, कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


सांवरिया थोड़ा बच बच के रहना जी

कभी मान भी लो कान्हा,

भक्तो का कहना जी,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥


सांवरिया तेरा रोज करू श्रृंगार

कभी कुटिया में मेरे,

आजाओ एक बार,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नजर उतार,

कितना प्यारा है ॥

कामदा एकादशी की कथा

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।

धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है (Dhara Par Andhera Bahut Chha Raha Hai)

धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है।
दिये से दिये को जलाना पड़ेगा॥

प्रदोष व्रत के नियम

शनि प्रदोष का दिन भगवान भोलेनाथ के साथ शनिदेव की पूजा-आराधना के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन शनिदेव और शिवजी की पूजा करने से जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है और शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा समेत अन्य परेशानियां भी दूर होती है।

आमलकी एकादशी पूजा विधि

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है।

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