नवीनतम लेख

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि(Ki Ban Gaye Nandlal Lilihari)

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि,

री लीला गुदवाय लो प्यारी ।

दृगन पै लिख दे दीनदयाल

नासिका पै लिख दे नन्दलाल

कपोलन पै लिख दे गोपाल

माथे लिख दे, मोहन लाल

श्रवनन पै लिख सांवरो, अधरन आनंदकंद,

ठोड़ी पै ठाकुर लिखो, गले में गोकुलचन्द ।

छाती पै लिख छैल, बाँहन पै लिख दे बनवारी ।

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि,

री लीला गुदवाय लो प्यारी ।


हाथन पै हलधर जी को भईया लिख ,

संग संग तू आनंद-करैया लिख

उंगरिन पै प्यारो कृष्ण कन्हैया लिख

कहूं कहूं वृन्दावन बंसी को बजैया लिख

पेट पै लिख दे परमानन्द

नाभि पै लिख दे तू नन्दनन्द

पिण्डरी पै लिख दे घनश्याम

चरण पै चितचोर को नाम

रोम-रोम में लिख दे मेरो सांवरो गिरिधारी ।

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि,

री लीला गुदवाय लो प्यारी ।


सखी देखत सब रह गयी कौन प्रेम को फंद

बिसे बिस कोई और नहीं ये छलिया ढोटा नन्द

अंगिया में देखि कसी मुरली परम रसाल

प्यारो प्यारो कह कह हिय लायो नंदलाल ।

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि,

री लीला गुदवाय लो प्यारी ।

आता रहा है सांवरा, आता ही रहेगा (Aata Raha Hai Sanwara, Aata Hi Rahega)

आता रहा है सांवरा,
आता ही रहेगा,

रहे संग तेरा नाम प्रभु हर पल मेरे जीवन में(Rahe Sang Tera Naam Prabhu Har Pal Mere Jeevan Mein)

रहे संग तेरा नाम प्रभु,
हर पल मेरे जीवन में,

नरक चतुर्दशी 2024: कब है नरक चतुर्दशी? जानें तिथि, पूजा विधि, कथा, महत्व

नरक चतुर्दशी, रूप चौदस या छोटी दिवाली एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है।

मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।
धीरे चलो री पुरवइया।

यह भी जाने