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करनल करुणा-सिंधु कहावै (Karnal Karuna Sindhu Kahavai)

देवी मढ़ देसाण री,

मेह दुलारी माय ।

गरज सकव गजराज री,

सारै नित सुरराय ॥


करनल करुणा-सिंधु कहावै

म्हां पर नित किरपा बरसावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


सुमिरंतां सुरराय सहायक,

मन सांसो मिटवावै ।

दरस कियां दुख दाळद मेटै,

पद परस्यां दुलरावै ॥

मैया चरण सरण बगसावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


अंतस पीड़ पिछाणै अंबा,

बिन सिमर्यां बतळावै ।

दूजो देव और कुण धरणी,

करणी जोड़ै आवै ।

अंबे भव दुख दूर भगावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


परचा है अणमाप प्रथी पर,

सबदां जो न समावै ।

घर घर जोत दीपै जगदंबा,

सेवक छंद सुणावै ।

सुण कर अंबा दौड़ी आवै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


माथै हाथ ऱखावै मायड़,

सत री राह चलावै ।

कवि 'गजराज' बखाणै कीरत,

गायक रुच रुच गावै ।

करणी सुख संपत बगसावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै

आया पावन सोमवार (Aaya Pawan Somwar)

आया पावन सोमवार,
चलो शिव मंदिर को जाए,

भजन करो मित्र मिला आश्रम नरतन का (Bhajan Karo Mitra Mila Ashram Nartan Ka)

बैठ के तु पिंजरे में,
पंछी काहे को मुसकाय,

भोले बाबा ने पकड़ा हाथ (Bhole Baba Ne Pakda Hath)

भोले बाबा ने पकड़ा हाथ,
की रहता हर पल मेरे साथ,

मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया (Mere O Sanware Tune Kya Kya Nahi Kiya)

मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,

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