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कर दो दूर प्रभु, मेरे मन में अँधेरा है (Kardo Dur Prabhu Mere Mann Me Andhera Hai)

कर दो दूर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है,

जब से तेरी लगन लगी,

हुआ मन में सवेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


हरी तुमसे बिछड़े हुए,

कई युग बीत गए,

अब आन मिलो प्रियतम,

मेरे मन में प्यार तेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


इतना तो बता दो मुझे,

मेरी मंज़िल है कहाँ,

अब ले चलो मुझको,

जहाँ संतो का डेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


दर्शन पाये बिना,

दर से हटेंगे नहीं,

अब हमने डाल लिया,

तेरे दर पे डेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


जब से तेरी लगन लगी,

मेरे मन की कलियाँ खिलीं,

अब जाग उठी किस्मत,

हुआ दर्शन तेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


कर दो दूर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है,

जब से तेरी लगन लगी,

हुआ मन में सवेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥

बेद की औषद खाइ कछु न करै माँ गंगा माहात्म्य (Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na karai: Ganga Mahatmy)

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम ।
चरण पादुका लेकर सब से पूछ रहे रसखान ॥

जो प्रेम गली में आए नहीं (Jo Prem Gali Me Aaye Nahi)

जो प्रेम गली में आए नहीं,
प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,

गुड़ी पड़वा 2025 कब है

सनातन धर्म में गुड़ी पड़वा त्योहार का विशेष महत्व है। इस त्योहार को चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और इस तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होता है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।

होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

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