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कांवड़ सजा के चालो, सावन ऋतू है आई (Kanwar Saja Ke Chalo Sawan Ritu Hai Aayi)

कांवड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई,

भक्तो को शिव ने अपने,

आवाज है लगाई,

कावड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई ॥


सावन की ऋतू है प्यारी,

भक्तो करो तयारी,

शिव गौरा से मिलन की,

मन में उमंग भारी,

मन में उमंग भारी,

तन हो गया है फागण,

मन में बसंत छाई,

कावड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई ॥


जीवन है तेरा छोटा,

बातों में ना लगाना,

जब जब भी आए सावन,

कांवड़ शिव चरण चढ़ाना,

जिस भक्त के ये भाव,

जिस भक्त के ये भाव,

उसने शिव कृपा है पाई,

कावड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई ॥


आदेश शिव का होता,

दर्शन को सभी है पाते,

शिव की कृपा जो होती,

कांवड़ तभी उठाते,

हमने भी शिव कृपा से,

हमने भी शिव कृपा से,

जीवन में कृपा ये पाई,

कावड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई ॥


कांवड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई,

भक्तो को शिव ने अपने,

आवाज है लगाई,

कावड़ सजा के चालो,

सावन ऋतू है आई ॥

चौसठ जोगणी रे भवानी (Chausath Jogani Re Bhawani)

चौसठ जोगणी रे भवानी,
देवलिये रमजाय,

कालाष्टमी पर क्या दान करें?

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श्री लक्ष्मीनारायण जी की आरती

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जय माधव, जय श्रीपति, जय, जय, जय विष्णो॥

परदे में बैठे, यूँ ना मुस्कुराइये (Parde Me Bethe Bethe Yun Na Muskuraiye)

परदे में बैठे-बैठे,
यूँ ना मुस्कुराइये,

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