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कलयुग में फिर से आजा, डमरू बजाने वाले (Kalyug Mein Fir Se Aaja Damru Bajane Wale)

कलयुग में फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले,

दुःख दर्द सब मिटा जा,

डमरू बजाने वाले ॥


विष पीके तुमने बाबा,

संसार को बचाया,

भैरव के रूप में भी,

महाकाल बनके आया,

दानव को फिर मिटा जा,

तांडव रचाने वाले,

कलयुग मे फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले ॥


दानव देव ऋषियों ने,

सबने है तुम्हे ध्याया,

संतो के लिए बाबा,

सातों धाम रचाया,

भक्तो को फिर जगा जा,

उज्जैन वाले बाबा,

कलयुग मे फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले ॥


कलयुग में फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले,

दुःख दर्द सब मिटा जा,

डमरू बजाने वाले ॥

नई पुस्तक शुभारंभ पूजा विधि

नई पुस्तक का विमोचन किसी लेखक के लिए एक बेहद खास अवसर होता है। यह न केवल उसकी विद्या और ज्ञान का प्रतीक होता है, बल्कि उसकी मेहनत और समर्पण की भी पहचान होती है।

होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

करो कृपा कुछ ऐसी, तेरे दर आता रहूँ (Karo Kripa Kuchh Aisi, Tere Dar Aata Rahun)

करो कृपा कुछ ऐसी,
तेरे दर आता रहूँ,

मेरे हनुमान का तो, काम ही निराला है (Mere Hanuman Ka To Kaam Hi Nirala Hai)

मेरे हनुमान का तो,
काम ही निराला है ॥

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