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काल क्या करेगा महाकाल के आगे (Kaal Kya Karega Mahakal Ke Aage)

कर लूँगा दो-दो बात मैं,

उस काल के आगे,

वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे ॥


रुतबा है भोलेनथ का,

देवो के है अफ़सर,

बेठे है समाधी मे वो,

गौरा के है हर-हर,

चम-चम चमकता चन्द्रमा,

शिव भाल के आगे,

फ़िके पडे सब हार,

मुंडमाल के आगे,

वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे ॥


मार्कण्डेय के गले फास,

वो यमराज ने डाली,

भोले शंकर ने प्रकट होके,

उसकी मौत को टाली,

स्वामी है इसकी मौत,

बारह साल के आगे,

काल की चली नहीं,

शिव ढाल के आगे,

वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे ॥


नन्दी को भोलेनथ ने,

मृत्यु से बचाया,

मृत्यु से बचा के,

उसे गण अपना बनाया,

झुकता नही शिव भक्त,

किसी हाल के आगे,

चलती ना कोई चाल,

उनकी चाल के आगे,

वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे ॥


भक्तो को भोलेनाथ ने,

माला-माल कर दिया,

खुशियो के खजाने को,

झोलीयो में भर दिया,

भक्ति बडी कमल है,

मायाजाल के आगे,

प्रेमी लगा ले ध्यान तू,

सुरताल के आगे,

वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे ॥


वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे,

कर लूँगा दो-दो बात मैं,

उस काल के आगे,

वो काल क्या करेगा,

महाकाल के आगे ॥

जय हो बाबा विश्वनाथ (Jay Ho Baba Vishwanath)

जय हो बाबा विश्वनाथ,
जय हो भोले शंकर,

बैंगन छठ की कहानी क्या है

हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।

तेरी बिगडी बना देगी, चरण रज राधा प्यारी की(Teri Bigdi Bana Degi Charan Raj Radha Pyari Ki)

तेरी बिगड़ी बना देगी,
चरण रज राधा प्यारी की ॥

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

करवा चौथ की सबसे प्रसिद्ध कहानी के अनुसार देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहा करती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और उन्हें जल में खिंचने लगा

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