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ज्योत से ज्योत जगाते चलो (Jyot Se Jyot Jagate Chalo)

ज्योत से ज्योत जगाते चलो,

ज्योत से ज्योत जगाते चलो

प्रेम की गंगा बहाते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो

राह में आये जो दीन दुखी,

राह में आये जो दीन दुखी

सब को गले से लगते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो


जिसका ना कोई संगी साथी,

ईश्वर है रखवाला

जो निर्धन है जो निर्बल है,

वो है प्रभु का प्यारा

प्यार के मोती...ती...ती...

प्यार के मोती लुटाते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो

प्रेम की गंगा बहाते चलो


आशा टूटी, ममता रूठी,

छूट गया है किनारा

बंद करो मत द्वार दया का,

दे दो कुछ तो सहारा

दीप दया...या...या...

दीप दया का जलाते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो

प्रेम की गंगा बहाते चलो


छाया है चारों और अँधेरा,

भटक गयी है दिशाएं

मानव बन बैठा दानव,

किसको व्यथा सुनाएँ

धरती को...को...को...

धरती को स्वर्ग बनाते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो

प्रेम की गंगा बहाते चलो


ज्योत से ज्योत जगाते चलो,

ज्योत से ज्योत जगाते चलो

प्रेम की गंगा बहाते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो

राह में आये जो दीन दुखी,

राह में आये जो दीन दुखी

सब को गले से लगते चलो,

प्रेम की गंगा बहाते चलो

धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये, तीन लोक (Dhan Dhan Bholenath Bant Diye Teen Lok)

प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
बना वेद का अधीकारी ।

श्रीराम और होली की कथा

होली का त्योहार सिर्फ द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसका संबंध त्रेतायुग और भगवान श्रीराम से भी गहरा है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भी होली मनाई जाती थी, लेकिन तब इसका रूप आज से थोड़ा अलग था। ये सिर्फ रंगों का खेल नहीं था, बल्कि सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व से जुड़ा हुआ एक अनोखा त्योहार था।

गणपति के चरणो में, ध्यान लगा ले रे (Ganpati Ke Charno Mein Dhyan Laga Le Re)

गणपति के चरणों में,
ध्यान लगा ले रे,

कैला देवी चालीसा (Kaila Devi Chalisa)

जय जय कैला मात हे, तुम्हे नमाउ माथ ॥
शरण पडूं में चरण में, जोडूं दोनों हाथ ॥

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