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जो शिव भोले की,
भक्ति में रम जाएगा,
हँसते हँसते,
भवसागर तर जाएगा ॥
शिव भोले औघड़दानी,
सुनते है सबकी वाणी,
इंसान तो क्या देवों ने,
इनकी महिमा है बखानी,
शरण जो आएगा,
शिव भोले के,
पावन दर्शन पाएगा,
जो शिव भोलें की,
भक्ति में रम जाएगा,
हँसते हँसते,
भवसागर तर जाएगा ॥
ये नीलकंठ कहलाए,
भक्तो की लाज बचाए,
अमृत देवों को देकर,
विष को खुद ही पि जाए,
वो अमृत पाएगा,
शिव गुणगान जो,
मन से प्राणी गाएगा,
जो शिव भोलें की,
भक्ति में रम जाएगा,
हँसते हँसते,
भवसागर तर जाएगा ॥
शिव तो है अंतर्यामी,
सारे जग के है स्वामी,
सब इनके ही गुण गावे,
ज्ञानी हो या अज्ञानी,
वरदान पाएगा,
सच्चे मन से,
शिव वरदान जो मांगेगा,
जो शिव भोलें की,
भक्ति में रम जाएगा,
हँसते हँसते,
भवसागर तर जाएगा ॥
जो शिव भोले की,
भक्ति में रम जाएगा,
हँसते हँसते,
भवसागर तर जाएगा ॥