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झुमर झलके अम्बा ना, गोरा गाल पे रे(Jhumar Jhalke Amba Na Gora Gaal Pe Re)

झूमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे,

गोरा गाल पे रे,

लम्बा बाल पे रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

कुम्हारा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

दीवड़ा लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

सोनीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

झांझरिया लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

जोशीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

चुंदड़ी लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

मालीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

गजरा लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

ढोलीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

ढोल वगाडजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

वणजारा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

चुड़ला लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


झूमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे,

गोरा गाल पे रे,

लम्बा बाल पे रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥

हुई गलियों में जय जयकार (Hui Galiyon Mein Jai Jaikaar)

हुई गलियों में जय जयकार,
आया गणपति तेरा त्यौहार ॥

जब निर्वस्त्र होकर नहा रहीं गोपियों को नटखट कन्हैया ने पढ़ाया मर्यादा का पाठ

भगवान विष्णु ने रामावतार लेकर जगत को मर्यादा सिखाई और वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं कृष्णावतार में भगवान ने ज्यादातर मौकों पर मर्यादा के विरुद्ध जाकर अपने अधिकारों की रक्षा और सच को सच कहने साहस हम सभी को दिखाया।

वन में चले रघुराई (Van Me Chale Raghurai )

वन में चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,

कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,
शिवनाथ के लिए,

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