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जय बजरंगी बोले, वो कभी ना डोले (Jay Bajrangi Bole Vo Kabhi Na Dole)

बोले बोले रे जयकारा,

जो बाबा का बोले,

जय बजरंगी बोले,

वो कभी ना डोले,

जय बजरंगी बोलें,

वो कभी ना डोले ॥


केसरी नंदन हे जगवंदन,

केसरी नंदन हे जगवंदन,

अंजनी माँ का लाला,

सबसे बढ़कर शक्ति तेरी,

तेरा रूप निराला,

गदा हाथ में लाल लंगोटा,

सिर पे मुकुट निराला,

तन पे लाल सिंदूर लगा के,

लाल देह कर डाला,

तेरे द्वार पे खड़े है,

तेरे भक्त भोले,

जय बजरंगी बोलें,

वो कभी ना डोले ॥


श्री राम का सीता माँ को,

श्री राम का सीता माँ को,

जब सन्देश सुनाया,

अजर अमर रहने का तूने,

वर माता से पाया,

तन मन में तेरे राम बसे है,

राम से ऐसा नाता,

निशदिन राम रटन की तुम तो,

फेरते रहते माला,

पत्ते पत्ते डाली डाली में,

तू राम टटोले,

जय बजरंगी बोलें,

वो कभी ना डोले ॥


बोले बोले रे जयकारा,

जो बाबा का बोले,

जय बजरंगी बोले,

वो कभी ना डोले,

जय बजरंगी बोलें,

वो कभी ना डोले ॥

अवध बिहारी हो, हम आए शरण तिहारी (Awadh Bihari Ho,Hum Aaye Sharan Tihari)

अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें चालीसा पाठ

मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस वर्ष 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह पर्व हिन्दू धर्म में लक्ष्मीनारायण की पूजा का एक पवित्र और शुभ अवसर है।

जब निर्वस्त्र होकर नहा रहीं गोपियों को नटखट कन्हैया ने पढ़ाया मर्यादा का पाठ

भगवान विष्णु ने रामावतार लेकर जगत को मर्यादा सिखाई और वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं कृष्णावतार में भगवान ने ज्यादातर मौकों पर मर्यादा के विरुद्ध जाकर अपने अधिकारों की रक्षा और सच को सच कहने साहस हम सभी को दिखाया।

चैत्र शुक्ल कामदा नामक एकादशी व्रत-माहात्म्य (Chaitr Shukl Kaamda Naamak Ekaadashee Vrat-Maahaatmy)

इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने कहा- भगवन्! आपको कोटिशः धन्यवाद है जो आपने हमें ऐसी सर्वोत्तम व्रत की कथा सुनाई।

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