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जय जय राधा रमण हरी बोल (Jai Jai Radha Raman Hari Bol)

जय जय राधा रमण हरी बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


मन तेरा बोले राधेकृष्णा,

तन तेरा बोले राधेकृष्णा,

जिव्हा तेरी बोले राधेकृष्णा,

मुख से निकले राधेकृष्णा,

जय जय राधा रमण हरि बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


पलकें तेरी बोले राधेकृष्णा,

अलके तेरी बोले राधेकृष्णा,

आँखे तेरी बोले राधेकृष्णा,

साँसे तेरी बोले राधेकृष्णा,

जय जय राधा रमण हरि बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


धड़कन बोले राधेकृष्णा,

तड़पन बोले राधेकृष्णा,

अंतर बोले राधेकृष्णा,

रोम रोम बोले राधेकृष्णा,

जय जय राधा रमण हरि बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


पंछी बोले राधेकृष्णा,

भंवरे बोले राधेकृष्णा,

बंशी बोले राधेकृष्णा,

वीणा बोले राधेकृष्णा,

जय जय राधा रमण हरि बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


वृन्दावन में राधेकृष्णा,

बरसाने में राधेकृष्णा,

गोवर्धन में राधेकृष्णा,

नंदगांव में राधेकृष्णा,

जय जय राधा रमण हरि बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


मुनिजन बोले राधेकृष्णा,

गुरुजन बोले राधेकृष्णा,

हम सब बोले राधेकृष्णा,

सब जग बोले राधेकृष्णा,

जय जय राधा रमण हरि बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥


जय जय राधा रमण हरी बोल,

जय जय राधा रमण हरि बोल ॥

स्वर – श्री म्रदुल कृष्ण जी शाश्त्री।

श्री चित्रगुप्त चालीसा (Shri Chitragupta Chalisa)

कुल गुरू को नमन कर, स्मरण करूँ गणेश ।
फिर चरण रज सिर धरहँ, बह्मा, विष्णु, महेश ।।

बोल राधे, बोल राधे (Bol Radhey, Bol Radhey)

पूछते हो कैसे
पूछते हो कैसे

मत रोवै ए धौली धौली गाँ (Mat Rove Aie Dholi Dholi Gay)

मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,

चक्रधर भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चक्रधर 12वीं शताब्दी के एक महान तत्त्वज्ञ, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक थे। महानुभाव धर्मानुयायी उन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, गुजरात के भड़ोच में हुआ था। उनका जन्म नाम हरीपालदेव था।

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