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जहाँ आसमां झुके जमीं पर (Jahan Aasman Jhuke Zameen Par)

जहाँ आसमां झुके जमीं पर,

सर झुकता संसार का,

वही पे देखा हमने जलवा,

माँ तेरे दरबार का ॥


इक तिरकुट पर्वत प्यारा,

जहाँ पे भवन विशाल,

गुफा बनी एक सुन्दर सी,

बजे घंटे घड़ियाल,

स्वर्ग सा सुख वहां,

नहीं कोई दुःख वहां,

बराबर मिलता है सबको,

भिखारी हो या कोई राजा,

जहाँ आसमां झुके जमी पर,

सर झुकता संसार का,

वही पे देखा हमने जलवा,

माँ तेरे दरबार का ॥


पवन छेड़ती है यहाँ,

मधु सा मधुर संगीत,

जहां पे झरने गाते है,

प्रीत के प्यारे गीत,

दिल में रस घोलती,

वादियाँ बोलती,

नहीं धरती पे कही ऐसा,

नजारा हमने है पाया,

जहाँ आसमां झुके जमी पर,

सर झुकता संसार का,

वही पे देखा हमने जलवा,

माँ तेरे दरबार का ॥


वही पे ‘लख्खा’ हो गया,

निर्धन से धनवान,

धन दौलत शोहरत मिली,

और पाया सम्मान,

वही एक द्वार है,

सुख का संसार है,

मांगले बेधड़क दिल से,

भवानी बाँट रही सबको,

जहाँ आसमां झुके जमी पर,

सर झुकता संसार का,

वही पे देखा हमने जलवा,

माँ तेरे दरबार का ॥


जहाँ आसमां झुके जमीं पर,

सर झुकता संसार का,

वही पे देखा हमने जलवा,

माँ तेरे दरबार का ॥

जया एकादशी पर क्या न खाएं?

जया एकादशी का उपवास हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करने की मान्यता है।

हमारे साथ श्री रघुनाथ, तो किस बात की चिंता (Hamare Sath Shri Raghunath Too Kis Baat Ki Chinta)

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो
किस बात की चिंता ।

ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी (Dhank Lai Yashoda Najar Lag Jayegi)

ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी
कान्हा को तेरे नजर लग जाएगी ।

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली (Hey Bholenath Teri Mahima Nirali)

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली,
जाने वो जिस ने तेरी लगन लगाली,