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जब भी नैन मूंदो(Jab Bhi Nain Mundo Jab Bhi Nain Kholo)

जय राधे कृष्णा,

जय राधे कृष्णा,

जय राधे कृष्णा हरे हरे ॥


जब भी नैन मूंदो,

जब भी नैन खोलो,

राधे कृष्णा बोलो,

राधे कृष्णा बोलो,


जय राधे कृष्णा,

जय राधे कृष्णा,

जय राधे कृष्णा हरे हरे ॥


वृंदावन ब्रज की राजधानी,

यहाँ बसे ठाकुर ठकुरानी,

मधुर मिलन की साक्षी देते,

सेवा कुञ्ज और यमुना का पानी,

सेवा कुञ्ज और यमुना का पानी,

पूण्य प्रेम रस में आत्मा भिगोलो,

जब भी नैन मुंदो,

जब भी नैन खोलो,

राधे कृष्णा बोलो,

राधे कृष्णा बोलो ॥


कृष्ण राधिका एक है,

इनमे अंतर नाही,

राधे को आराध लो,

कृष्णा तभी मिल जाए,

प्रथक प्रथक कभी इनको ना तोलो,

जब भी नैन मुंदो,

जब भी नैन खोलो,

राधे कृष्णा बोलो,

राधे कृष्णा बोलो ॥


जब भी नैन मूंदो,

जब भी नैन खोलो,

राधे कृष्णा बोलो,

राधे कृष्णा बोलो


जय राधे कृष्णा,

जय राधे कृष्णा,

जय राधे कृष्णा हरे हरे ॥

भोलेनाथ की दीवानी, गौरा रानी लागे (Bholenath Ki Deewani Gora Rani Lage)

भोलेनाथ की दीवानी,
गौरा रानी लागे,

शबरी जयंती पर इन चीजों का लगाएं भोग

सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं।

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