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इस धरती पर स्वर्ग से सुन्दर, है तेरा दरबार(Is Dharti Par Swarg Se Sundar Hai Tera Darbar)

इस धरती पर स्वर्ग से सुन्दर,

है तेरा दरबार ॥

दोहा – कोई काशी कोई जाए मथुरा,

कोई जाए हरिद्वार,

मेरे लिए तो सबसे बड़ा,

तिरथ है माँ का द्वार ॥


इस धरती पर स्वर्ग से सुन्दर,

है तेरा दरबार,

हम पर रहे बरसता यूँ ही,

सदा तुम्हारा प्यार,

तुम्हारा प्यार ना रूठे,

तेरा दरबार ना छूटे,

माँ तुम्हारा प्यार ना रूठे,

मेरा परिवार ना टूटे ॥


हम संतान तुम्हारी,

और तुम हो मात हमारी,

हर उलझन में मैया,

बनती हो ढाल हमारी,

रहे झलकता हम बच्चो पर,

इतना प्यार दुलार,

तुम्हारा प्यार ना रूठे,

तेरा दरबार ना छूटे,

माँ तुम्हारा प्यार ना रूठे,

मेरा परिवार ना टूटे ॥


दे ऐसा वरदान मुझे माँ,

करता रहूं तेरी पूजा,

तेरी लगन के आगे,

सूझे मोहे काम न दूजा,

झुकता रहे चरणों में मेरा,

शीश ये बारम्बार,

तुम्हारा प्यार ना रूठे,

तेरा दरबार ना छूटे,

माँ तुम्हारा प्यार ना रूठे,

मेरा परिवार ना टूटे ॥


मात पिता तुम मेरे,

तुम ही हो पालनहारी,

तुमसे मिला है जीवन,

तुम ही हो लाज हमारी,

इनकी सेवा कर ना सके तो,

जीवन है बेकार,

तुम्हारा प्यार ना रूठे,

तेरा दरबार ना छूटे,

माँ तुम्हारा प्यार ना रूठे,

मेरा परिवार ना टूटे ॥


‘जीत’ के घर पर मैया,

तेरी ज्योत जगे दिन राती,

‘योगी’ तुम्हे पुकारा,

बिन देर लगाए आती,

‘शान’ पे है आशीष तुम्हारा,

नतमस्तक परिवार,

तुम्हारा प्यार ना रूठे,

तेरा दरबार ना छूटे,

माँ तुम्हारा प्यार ना रूठे,

मेरा परिवार ना टूटे ॥


इस धरती पर स्वर्ग से सुन्दर,

है तेरा दरबार,

हम पर रहे बरसता यूँ ही,

सदा तुम्हारा प्यार,

तुम्हारा प्यार ना रूठे,

तेरा दरबार ना छूटे,

माँ तुम्हारा प्यार ना रूठे,

मेरा परिवार ना टूटे ॥

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