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हे संकट मोचन करते है वंदन(Hey Sankat Mochan Karte Hai Vandan)

हे संकट मोचन करते है वंदन,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे,

सालासर वाले तुम हो रखवाले,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ॥


सिवा तेरे ना दूजा हमारा,

तू ही आकर के देता सहारा,

जो भी विपदा आए,

पल में मिट जाए,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ॥


तूने रघुवर के दुखड़ो को टाला,

हर मुसीबत से उनको निकाला,

रघुवर के प्यारे,

आँखों के तारे,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ॥


अपने भगतो के दुखड़े मिटाते,

‘हर्ष’ आफत से हमको बचाते,

किरपा यूँ रखना,

थामे तू रखना,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ॥


हे संकट मोचन करते है वंदन,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे,

सालासर वाले तुम हो रखवाले,

तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ॥

बिगड़ी मेरी बना दे ओ शेरो वाली मैय्या

सदा पापी से पापी को भी तुम, माँ, भव-सिंधु तारी हो फँसी मझधार में नैय्या को भी पल में उबारी हो

ओ शंकर मेरे, कब होंगे दर्शन तेरे (O shankar Mere Kab Honge Darshan Tere)

ओ शंकर मेरे,
कब होंगे दर्शन तेरे,

बड़े तुम्हारे है उपकार मैया(Bade Tumhare Hai Upkar Maiya)

बड़े तुम्हारे है उपकार मैया,
तुमने जो होके दयाल,

षटतिला एकादशी पर ना करें ये काम

षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

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