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हे जगवंदन गौरी नन्दन, नाथ गजानन आ जाओ (Hey Jag Vandan Gauri Nandan Nath Gajanan Aa Jao)

हे जगवंदन गौरी नन्दन,

नाथ गजानन आ जाओ,

शिव शंकर के राज दुलारे,

आके दर्श दिखा जाओ,

हे जगवँदन गौरी नंदन,

नाथ गजानन आ जाओ ॥


रिद्धि सिद्धि के स्वामी हो तुम,

शुभ और लाभ के दाता हो,

एक दन्त हो दयावंत हो,

तुम ब्रह्मांड के ज्ञाता हो,

विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा,

मेरे विघ्न मिटा जाओ,

हे जगवँदन गौरी नंदन,

नाथ गजानन आ जाओ ॥


सब देवों में सबसे पहले,

होती तेरी ही पूजा,

तीनो लोकों में हे स्वामी,

कोई नही तुमसा दूजा,

मूषक की करके असवारी,

लड्डुअन भोग लगा जाओ,

हे जगवँदन गौरी नंदन,

नाथ गजानन आ जाओ ॥


हम सेवक नादान तुम्हारे,

भजन भाव कुछ ना जाने,

इस संसार में सबसे ज्यादा,

देवा बस तुमको माने,

‘त्यागी’ की ये विनती सुनलो,

कारज सफल बना जाओ,

हे जगवँदन गौरी नंदन,

नाथ गजानन आ जाओ ॥


हे जगवंदन गौरी नन्दन,

नाथ गजानन आ जाओ,

शिव शंकर के राज दुलारे,

आके दर्श दिखा जाओ,

हे जगवँदन गौरी नंदन,

नाथ गजानन आ जाओ ॥

गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है।

राम का हर पल ध्यान लगाए, राम नाम मतवाला (Ram Ka Har Pal Dhyan Lagaye Ram Naam Matwala)

राम का हर पल ध्यान लगाए,
राम नाम मतवाला,

आरती अन्नपूर्णा माता जी की (Aarti Annapurna Mata Ji Ki)

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।

अहोई अष्टमी का महत्व और मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन माताएं अपने पुत्रों की कुशलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं।

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