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हरिद्वार जाउंगी, सखी ना लौट के आऊँगी(Haridwar Jaungi Sakhi Na Laut Ke Aaungi)

सखी हरिद्वार जाउंगी,

हरिद्वार जाउंगी,

सखी ना लौट के आऊँगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,

भोले तेरी याद में,

छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,

भोले तेरी याद में,

मेरे नैनन बरसे नीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


सुंदर सलोनी सूरत पे,

दीवानी हो गई,

अब कैसे धारू धीर सखी,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


इस दुनिया के रिश्ते नाते,

सब ही तोड़ दिए,

तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


नैन लड़े मेरे भोले से,

बावरी हो गई,

दुनिया से हो गई अंजानी,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


अग्नि देवता की पूजा विधि क्या है?

सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं।

मान अकबर का घटाया है (Maan Akbar Ka Ghataya Hain)

मां ज्वाला तेरी देवीय शक्ति, नमन करूं श्रीनायक।
मान भक्तों का बढ़ाया है रे, मान भक्तों का बढ़ाया है।

गंगा के खड़े किनारे, भगवान् मांग रहे नैया (Ganga Ke Khade Kinare Bhagwan Mang Rahe Naiya)

गंगा के खड़े किनारे
भगवान् मांग रहे नैया

दुनियाँ रचने वाले को भगवान कहते हैं(Duniya Rachne Wale Ko Bhagwan Kehte Hain)

दुनियाँ रचने वाले को भगवान कहते हैं,<,br> और संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं।

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