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हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया (Hajipur Kelwa Mahang Bhaile Dhaniya)

हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया

छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया

हाजीपुर नारियल महँग भेल हे धनिया

छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया


हम कैसे छोड़ब प्रभु छठी रे वरतिया

हम कैसे छोड़ब प्रभु छठी रे वरतिया

छठी रे वरतिया मोरा प्राण के अधरबा

छठी रे वरतिया मोरा प्राण के अधरबा

छठी रे वरतिया मोरा अवध सेनोरबा

छठी रे वरतिया मोरा अवध सेनोरबा


दउरा गोल सुपवा महँग भेल हे धनिया

कोरवा गेहुंअवा महँग भेल हे धनिया

छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया


हम नहीं छोड़ब प्रभु छठी रे वरतिया

छठिया करइते बढ़ल कुल परिबरवा

छठी रे वरतिया मोरा प्राण के अधरबा


हम कैसे छोड़ब प्रभु छठी रे वरतिया

छठी रे वरतिया देल गोदी के बलकबा

अन धन लक्ष्मी बढ़ल नैहर ससुरवा


हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया

छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया

हम नहीं छोड़ब प्रभु छठी रे वरतिया


बुधवार व्रत की प्रामाणिक-पौराणिक कथा (Budhvaar Vrat Ki Praamaanik-Pauraanik Katha)

समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर लड़की संगीता से हुआ था।

मेरे बालाजी महाराज, जयकारा गूंजे गली गली (Mere Balaji Maharaj Jaikara Gunje Gali Gali)

मेरे बालाजी महाराज,
जयकारा गूंजे गली गली,

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha)

छठ व्रत कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

हे वीणा वादिनी सरस्वती, हंस वाहिनी(Hey Veena Vadini Saraswati Bhajan)

हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती