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है अनुपम जिसकी शान, उसको कहते है हनुमान (Hai Anupam Jiski Shan Usko Kahte Hai Hanuman)

है अनुपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान,

अजी सुनो लगाकर कान,

सुनो लगाकर कान,

उसको कहते है हनुमान,

है अनूपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान ॥


राजा राम की लाज बचाई,

लक्ष्मण के तुम जीवनदाई,

लंका को तुमने जलाया,

रावण का बाजा बजाया,

रखते हो तुम मान,

उसको कहते है हनुमान,

है अनूपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान ॥


पवन देव के पुत्र कहाए,

अंजनी माँ के भाग्य जगाए,

एके हाथ सिद्धजन तारे,

दूजे हाथ असुर संहारे,

देखि तुम्हारी बान,

उसको कहते है हनुमान,

है अनूपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान ॥


राम नाम की देत दुहाई,

अब तो मेरा कौन सहाई,

है इनके हम भक्त प्यारे,

लज्जा मान हाथ तुम्हारे,

हो सदा तेरा गुणगान,

उसको कहते है हनुमान,

है अनूपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान ॥


है अनुपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान,

अजी सुनो लगाकर कान,

सुनो लगाकर कान,

उसको कहते है हनुमान,

है अनूपम जिसकी शान,

उसको कहते है हनुमान ॥

म्हारी झुँझन वाली माँ, पधारो कीर्तन में(Mhari Jhunjhan Wali Maa Padharo Kirtan Me)

म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,

सकट चौथ व्रत कथा

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