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गोविंद चले चरावन धेनु(Govind Chale Charaavan Dhenu)

गोविंद चले चरावन धेनु ।

गृह गृह तें लरिका सब टेरे

शृंगी मधुर बजाई बेनु ॥


सुरभी संग सोभित द्वै भैया

लटकत चलत नचावत नेंन ।

गोप वधू देखन सब निकसीं

कियो संकेत बताई सेंन ॥

ब्रजपति जब तें बन पाउँ धारे

न परत ब्रजजन पल री चैन ।

तजि गृह काज विकली सी डोलत

दिन अरि जाए हो एक बैन ।

जसोमति पाक परोसि कहति सखि

तूं ले जाउ बेगि इह देंन ।

गोविंद लिए बिरहनी दौरी,

तलफत जैसे जल बिनु मेंन ॥


गोविंद चले चरावन धेनु ।

गृह गृह तें लरिका सब टेरे

शृंगी मधुर बजाई बेनु ॥

तेरे दरबार मे मैया खुशी मिलती है (Tere Darbar Mein Maiya Khushi Milti Hai)

तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे ॥

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी कब है?

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि का देवता माना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा और व्रत किया जाता है।

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लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,
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श्री राम तेरी महिमा से,
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