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गौरा ढूंढ रही पर्वत पर(Gora Dhund Rahi Parvat Pe)

गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,

शिव को पति बनाने को,

पति बनाने को, भोले को,

पति बनाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे माथे का टिका,

मांग सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने की नथनी,

नाक सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे गले का हरवा,

गला सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने का कंगना,

हाथ सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे रेशम की साड़ी,

तन पे सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने की करधनी,

कमर सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,

शिव को पति बनाने को,

पति बनाने को, भोले को,

पति बनाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥

ओ मईया तैने का ठानी मन में (O Maiya Tene Ka Thani Man Me)

ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,

मनोज मुंतशिर रचित भए प्रगट कृपाला दीनदयाला रीमिक्स (New Bhaye Pragat Kripala Bhajan By Manoj Muntashir)

श्री राम जानकी कथा ज्ञान की
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श्री महालक्ष्मी चालीसा

जय जय श्री महालक्ष्मी करूं माता तव ध्यान।
सिद्ध काज मम किजिए निज शिशु सेवक जान।।

स्कंद षष्ठी पारण विधि

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। स्कंद देव यानी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं।

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