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गौंरी सुत गणराज गजानन, विघ्न हरण मंगल कारी (Gauri Sut Ganraj Gajanan Vighna Haran Mangal Kari)

गौरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

दुविधा मिट जावे सारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी ॥


प्रथम पूज्‍यनिय तू है बाबा तेरा,

सबसे पहले ध्यान किया,

बाधाओं से मुक्ति पाने,

तेरा ही आह्वान किया,

आओ सवारो काज हमारे,

बल बुद्धि के भंडारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन ॥


शिव शंकर के लाल पधारो,

आज हमारे कीर्तन में,

आकर पूरी कर देना प्रभु,

जो भी आशा है मन में,

तेरे स्वागत की कर ली है,

हमने सारी तैयारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन ॥


रिद्धि सिद्धि को भी संग में लाना,

गौरीपुत्र गणेश मेरे,

भर देना भंडार हमारे,

बिगड़े काम बने मेरे,

रखना हरी भरी प्रभु तुम हरदम ,

भक्तों की ये फुलवारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन ॥


गौरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

दुविधा मिट जावे सारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी ॥

वो है जग से बेमिसाल सखी

कोई कमी नही है, दर मैय्या के जाके देख।
देगी तुझे दर्शन मैय्या, तू सर को झुका के देख।

नारायण कवच (Narayana Kavach)

ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताङ्घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे।

माँ तू ही नज़र आये(Maa Tu Hi Nazar Aaye)

मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥

शुक्रवार व्रत कथा और महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सप्ताह के सातों दिनों में से शुक्रवार का दिन माता संतोषी को समर्पित माना जाता है। शुक्रवार के दिन मां संतोषी का व्रत उनकी व्रत कथा के बिना अधूरा माना जाता है।

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