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दृष्टि हम पे दया की माँ डालो (Drashti Hum Par Daya Ki Maa Dalo)

दृष्टि हम पे दया की माँ डालो,

बडी संकट की आई घड़ी है ।

द्वार पर तेरे हम भी खड़े है,

आँखो में आँसुओ कि झड़ी है ॥


निर्बल का सहारा यही है,

रास्ता दुसरा ना कही है ।

तेरा दर्श अगर तू दिखा दे,

टूट जाये गमो की लड़ी है ॥


सारे भक्तो को तुमने है तारा,

वासता तुमसे भी है हमारा ।

तार दे माँ तेरे बालकों को,

हम पर विपदा ही ऐसी पड़ी है ॥


फरियादों की झोली अड़ी है,

फते करने को माँ तू खड़ीं है ।

ये शिवाजी को आशिष दे कर,

धन्य करदे तू सबसे बड़ी है ॥


दृष्टि हम पे दया की माँ डालो,

बडी संकट की आई घड़ी है ।

द्वार पर तेरे हम भी खड़े है,

आँखो में आँसुओ कि झड़ी है ॥

भूतनाथ अष्टकम्

शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्

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