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देकर शरण अपनी अपने में समा लेना(Dekar Sharan Apani Apne Mein Sama Lena)

बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,

देकर शरण अपनी अपने में समा लेना ॥


कही धरती डोले है कही अंबर है बरसे,

तुमसे मिलने को भोले मिलने ना दे करते,

मुश्किल बड़ी राहें है रस्ता भी दिखा देना,

बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,

देकर शरण अपनी अपने में समा लेना ॥


दर दर क्यों भटकु मैं कुछ मुझमे कमी होगी,

अपनी सेवक रखलो कदमो में जमीन होगी,

हलातों से लड़ लड़कर जीना भी सीखा देना,

बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,

देकर शरण अपनी अपने में समा लेना ॥


जब भी पुकारू मैं तुमको तुम्हे आना ही होगा,

इतनी विनती है मेरी तुम्हे पार लगाना होगा,

जैसी हु तेरी हु चरणों में जगह देना,

बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,

देकर शरण अपनी अपने में समा लेना ॥

श्रीकृष्ण के 108 नामों की जाप

प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है।

बाबा करले तू इत्थे भी नजर भगत कोई रोता होवेगा (Baba Karle Tu Ithe Bhi Nazar Bhagat Koi Rota Hoyega)

बाबा करले तू इत्थे भी नजर,
भगत कोई रोता होवेगा,

मन भजले पवनसुत नाम, प्रभु श्री राम जी आएंगे(Man Bhaj Le Pawansut Naam Prabhu Shri Ram Ji Aayenge)

मन भजले पवनसुत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,

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जिसकी लागी रे लगन भगवान में,
उसका दिया रे जलेगा तूफान में।

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