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दर्शन को अखियाँ प्यासी है, कब दर्शन होगा श्याम धणी(Darshan Ko Akhiyan Pyasi Hai, Kab Darshan Hoga Shyam Ghani)

दर्शन को अखियाँ प्यासी है,

कब दर्शन होगा श्याम धणी,

मुझ निर्धन के घर आँगन में,

कब आवन होगा श्याम धणी,

दर्शन को अखियां प्यासी है,

कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥


मेरे घर में तुम्हे बिठाने को,

ना चौकी ना सिंहासन है,

ना दीपक ना बाती है,

ना अक्षत है ना चंदन है,

श्रद्धा के फूलों से तेरा,

अभिनन्दन होगा श्याम धणी,

दर्शन को अखियां प्यासी है,

कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥


सावन भादों दोनों बीते,

और बीती होली दिवाली है,

पर मुझे देखने नहीं मिली,

तेरी सूरत भोली भाली है,

ना जाने किस दिन अखियों को,

पग दर्शन होगा श्याम धणी,

दर्शन को अखियां प्यासी है,

कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥


दर्शन को अखियाँ प्यासी है,

कब दर्शन होगा श्याम धणी,

मुझ निर्धन के घर आँगन में,

कब आवन होगा श्याम धणी,

दर्शन को अखियां प्यासी है,

कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥

भोले के कांवड़िया मस्त बड़े मत वाले हैं (Bhole Ke Kawadiya Masat Bade Matwale Hain)

चली कांवड़ियों की टोली,
सब भोले के हमजोली,

हरि तुम हरो जन की भीर(Hari Tum Haro Jan Ki Bhir)

हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥

मां नर्मदा की पूजा-विधि

प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाने का विधान है। इस दिन मां नर्मदा की विशेष रूप से यह जयंती मनाई जाती है।

श्यामा तेरे चरणों की, गर धूल जो मिल जाए - भजन (Shyama Tere Charno Ki, Gar Dhool Jo Mil Jaye)

श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,