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डमरू बजाए अंग भस्मी रमाए (Damru Bajaye Ang Bhasmi Ramaye)

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाए,

और ध्यान लगाए किसका,

ना जाने वो डमरू वाला,

ना जाने वो डमरू वाला,

सब देवो में सब देवों में,

है वो देव निराला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


मस्तक पे चंदा,

जिसकी जटा में है गंगा,

रहती पार्वती संग में,

सवारी है बूढ़ा नंदा,

है नंदा,

वो कैलाशी है अविनाशी,

पहने सर्पो की माला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


बाघम्बर धारी,

वो है भोला त्रिपुरारी,

रहता है वो मस्त सदा,

जिसकी महिमा है भारी,

है न्यारी,

वो शिव शंकर है प्रलयंकर,

रहता सदा मतवाला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


सारे मिल गायें,

शिव शम्भू को ध्याये,

जो भी मांगे सो पाए,

दर से खाली ना जाए,

जो आए,

बड़ा है दानी बड़ा ही ज्ञानी,

सारे जग का रखवाला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


डमरू बजाए अंग भस्मी रमाए,

और ध्यान लगाए किसका,

ना जाने वो डमरू वाला,

ना जाने वो डमरू वाला,

सब देवो में सब देवों में,

है वो देव निराला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥

दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया (Dard Kisako Dikhaun Kanaiya)

दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है,

चक्रधर भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चक्रधर 12वीं शताब्दी के एक महान तत्त्वज्ञ, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक थे। महानुभाव धर्मानुयायी उन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, गुजरात के भड़ोच में हुआ था। उनका जन्म नाम हरीपालदेव था।

मैं बालक तू माता शेरां वालिए (Main Balak Tu Mata Sherawaliye)

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,
है अटूट यह नाता शेरां वालिए ।
शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,
मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ ॥
॥ मैं बालक तू माता शेरां वालिए...॥

कान छेदने के मुहूर्त

हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।

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