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छोटी सी कुटिया है मेरी,

बालाजी तुम आ जाना,

रुखा सूखा दिया है मुझको,

उसका भोग लगा जाना,

उसका भोग लगा जाना ॥


सौंप दिया है जीवन का अब,

भार तुम्हारे हाथों में,

जीत तुम्हारे हाथों में,

हार तुम्हारे हाथों में,

तुम हो स्वामी मैं हूँ सेवक,

रुखा सूखा दिया है मुझको,

उसका भोग लगा जाना,

उसका भोग लगा जाना ॥


निर्धन हूँ मैं निर्बल हूँ मैं,

कैसे तुम्हे मनाऊं मैं,

मन मंदिर में तुम्हे बिठाकर,

भाव के भोग लगाऊं मैं,

मेरी श्रद्धा को स्वीकारो,

रुखा सूखा दिया है मुझको,

उसका भोग लगा जाना,

उसका भोग लगा जाना ॥


तुमको अर्पण सारा जीवन,

तुमको ही बलिहार है,

तेरे सहारे तेरे भरोसे,

मेरा ये परिवार है,

हाथ जोड़कर कहता ‘बंसल’,

विनती को ना ठुकराना,

रुखा सूखा दिया है मुझको,

उसका भोग लगा जाना,

उसका भोग लगा जाना ॥


छोटी सी कुटिया है मेरी,

बालाजी तुम आ जाना,

रुखा सूखा दिया है मुझको,

उसका भोग लगा जाना,

उसका भोग लगा जाना ॥

हरि नाम के रस को पी पीकर(Hari Naam Ke Ras Ko Pee Peekar)

हरि नाम के रस को पी पीकर,
आनंद में जीना सीख लिया,

कदम कदम पर रक्षा करता (Kadam Kadam Par Raksha Karta)

कदम कदम पर रक्षा करता,
घर घर करे उजाला उजाला,

मुझे राधे-राधे कहना सिखादे (Mujhe Radhe Radhe Kahana Shikhade)

मुझे राधे राधे कहना सिखा दे
कन्हैयाँ तेरा क्या बिगड़े,

क्या कुंवारी लड़कियां भी कर सकती हैं प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, मनोकामना पूर्ति और कष्टों के निवारण का प्रतीक है। कुंवारी लड़कियों के लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी माना है।

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