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काशी वाले, देवघर वाले, जय शम्भू (Bhajan: Kashi Wale Devghar Wale Jai Shambu)

भक्ति भारत का 101वाँ भजन..


काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी।

खेल तेरे हैं निराले, शिव शंकर त्रिपुरारी।


जयति जयति जय कशी वाले,

काशो वाले देवघर वाले।

खेल हैं तेरे नाथ निराले,

जय शम्भू जय जय शम्बू।


जो भी तेरा ध्यान धरे,

उसका सुर नर मौन करे।

जनम मरण से वो उभरे,

भोले चरण तुम्हारे जो धरले।

दया करो विष पीने वाले,

भक्त जानो के तुम रखवाले।

तुम बिन नैया कौन संभाले,

जय शम्भू जय जय शम्बू।


ऐसे हो औगड़दानी,

देते हो वार मन मानी।

भस्मासुर था अभिमानी,

भस्मसुर की शैतानी।

पार्वती बन विष्णु आए,

दगाबाज नो मज़ा चखाए।

भांग धतूरा आप ते खाए,

जय शम्भू जय जय शम्बू।


अपनी विपदा किसे सुनाएँ,

मन में इक आशा हैं लाए।

श्री चरणो की धुल मिले जो,

नैयन हमारे दर्शन पाएं।

आस हमारी पूरी करदो,

मेरी खाली झोली भरदो।

एक नज़र मुझ पे भी करदो,

जय शम्भू जय जय शम्बू।


जो भी आया तेरे द्वारे,

जागे उसके भाग्य सितारे।

मैं शरणागत शरण तिहारे,

बोले शरण तिहारे, शरण तिहारे।

करूँ नहीं कोई लाखों तारे,

'शर्मा' को मत भूलो स्वामी,

हे कैलाशी अन्तर्यामी।

ओम नमो शिव नमो नमामि,

जय शम्भू जय जय शम्बू।


तुम कालों के काल, बाबा मेरे महाकाल(Tum Kalo Ke Kal Baba Mere Mahakal )

तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल ॥

कृष्ण घर नन्द के जन्मे, सितारा हो तो ऐसा हो (Krishna Ghar Nand Ke Janme Sitara Ho To Aisa Ho)

कृष्ण घर नन्द के जन्मे,
दुलारा हो तो ऐसा हो,

ओ मईया तैने का ठानी मन में (O Maiya Tene Ka Thani Man Me)

ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,

प्रबल प्रेम के पाले पड़ के (Prem Ke Pale Prabhu Ko Niyam Badalte Dekha)

प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,
प्रभु का नियम बदलते देखा ।

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