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बधाई भजन: बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे (Badhai Bhajan Baje Kundalpur Me Badayi Nagri Me Veer Janme)

बजे कुण्डलपर में बधाई,

के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी

जागे भाग हैं त्रिशला माँ के,

के त्रिभवन के नाथ जन्मे, महावीर जी


शुभ घडी जनम की आई,

सवरग से देव आये, महावीर जी

तेरा नवन करें मेरु पर

के इंद्र जल भर लाए, महावीर जी


तुझे देवीआं झुलाये पलना,

मन में मगन हो के, महावीर जी

तेरे पलने में हीरे मोती,

के गोरिओं में लाल लटके, महावीर जी


अब ज्योति तेरी जागी

के सूर्य चाँद छिप जाए, महावीर जी

तेरे पिता लुटावें मोहरें

खजाने सारे खुल जाएंगे, महावीर जी


हम दरश को तेरे आए

के पाप सब काट जाएंगे, महावीर जी

बजे कुण्डलपर में बधाई,

के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी


वृश्चिक संक्रांति का महत्व

वृश्चिक संक्रांति पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योंहार है। यह हिंदू संस्कृति में सौर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य जी की पूजा के लिए विशेष माना होता है। वृश्चिक संक्रांति के समय सूर्य उपासना के साथ ही मंगल ग्रह शांति एवं पूजा करने से मंगल ग्रह की कृपा होती है।

क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, जानिए पूजा विधि

गोपाष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के गौ-पालन और लीलाओं की याद दिलाता हैं। गोपाष्टमी दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें गोप का अर्थ है "गायों का पालन करने वाला" या "गोपाल" और अष्टमी का अर्थ हैं अष्टमी तिथि या आठवां दिन।

बना दे बिगड़ी बात, मेरे खाटू वाले श्याम (Bana De Bidagi Baat Mere Khatu Wale Shyam)

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मेरे खाटू वाले श्याम,

करो हरी का भजन प्यारे, उमरिया बीती जाती हे (Karo Hari Ka Bhajan Pyare, Umariya Beeti Jati Hai)

करो हरी का भजन प्यारे,
उमरिया बीती जाती हे,

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