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बाबा महाकाल तेरा,

सारा जग दीवाना है,

मैं भी दर पे आया हूँ,

छोड़कर जमाना है ॥


दर्श मुझको दे देना,

आस ये लगी दिल में,

दर्श मैंने माँगा है,

माँगा ना खजाना है,

बाबा महांकाल तेरा,

सारा जग दीवाना है ॥


बाबा तीनो लोको में,

तेरा लोक है भारी,

महाकाल लोक तेरा,

सबसे सुहाना है,

बाबा महांकाल तेरा,

सारा जग दीवाना है ॥


आके तेरी चौखट पे,

‘प्रेमी’ हो गया पागल,

महाकाल मंदिर में,

अब मेरा ठिकाना है,

बाबा महांकाल तेरा,

सारा जग दीवाना है ॥


बाबा महाकाल तेरा,

सारा जग दीवाना है,

मैं भी दर पे आया हूँ,

छोड़कर जमाना है ॥

शंकर चौड़ा रे (Shankar Chaura Re)

शंकर चौड़ा रे, महामाई कर रही सोलह रे।
सिंगार माई कर रही, सोलह रे

कार्तिगाई दीपम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन (Aisi Lagi Lagan, Meera Ho Gai Magan)

ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,

श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् (Sri Devi Atharvashirsha)

देव्यथर्वशीर्षम् जिसे देवी अथर्वशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है, चण्डी पाठ से पहले पाठ किए जाने वाले छह महत्वपूर्ण स्तोत्र का हिस्सा है।