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बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे (Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave)

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,

कोई सोना की जो होती,

हीरा मोत्या की जो होती,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


जैल में जनम लेके घणो इतरावे,

कोई महला में जो होतो,

कोई अंगना में जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे,

कोई यशोदा के होतो,

माँ यशोदा के जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे,

कोई गुरुकुल में जो होतो

कोई विद्यालय जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे,

ब्राह्मण बाणिया की जो होती,

ब्राह्मण बाणिया की जो होती,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे,

कोई गोरो सो जो होतो,

कोई सोणो सो जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे,

छप्पन भोग जो होतो,

मावा मिश्री जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,

कोई सोना की जो होती,

हीरा मोत्या की जो होती,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥

प्रभू तेरो नाम (Prabhu Tero Naam)

प्रभू तेरो नाम, जो ध्याए फल पाए
सुख लाए तेरो नाम

चौसठ जोगणी रे भवानी (Chausath Jogani Re Bhawani)

चौसठ जोगणी रे भवानी,
देवलिये रमजाय,

स्कन्द षष्ठी व्रत नियम

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में षष्ठी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह तिथि शिव-पार्वती जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।

तुम कालों के काल, बाबा मेरे महाकाल(Tum Kalo Ke Kal Baba Mere Mahakal )

तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल ॥

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