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अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये: भजन (Ambe Kaha Jaye Jagdambe Kaha Jaye)

अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,

बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये ॥


मैंने सोने का टीका बनवाया,

मेरी मय्या को पसन्द नहीं आया,

उसे फूलों का टीका पसन्द आया,

अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,

बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥


मैंने सोने के कंगन बनवाये,

मय्या को पसन्द नहीं आये,

उसे फूलों के कंगन पसन्द आये,

अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,

बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥


मैंने सोने का हार बनवाया,

मइया को पसन्द नहीं आया,

उसे फूलों का हार पसन्द आया,

अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,

बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥


मैंने सोने की तगड़ी बनवायी,

मइया को पसन्द नहीं आयी,

उसे तो फूलों की तगड़ी पसन्द आयी,

अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,

बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥


अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,

बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये ॥

अर्जी सुनकर मेरी मैया, घर में मेरे आई (Arji Sunkar Meri Maiya, Ghar Mein Mere Aayi)

अर्जी सुनकर मेरी मैया,
घर में मेरे आई,

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र (Shiv Panchakshar Stotram )

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ ॥ Shrishivpanchaksharastotram ॥
nagendraharay trilochanay,
bhasmangaragay maheshvaray .
nityay shuddhay digambaray,
tasmai na karay namah shivay .1.

ना जाने आज क्यो फिर से, तुम्हारी याद आई है (Na Jaane Aaj Kyu Fir Se Tumhari Yaad Aayi Hai)

ना जाने आज क्यों फिर से,
तुम्हारी याद आई है ॥

स्कंद षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।