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हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ (Akhiya Hari Darshan Ki Pyasi)

हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


देखियो चाहत कमल नैन को,

निसदिन रहेत उदासी,

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


आये उधो फिरी गए आँगन,

दारी गए गर फँसी,

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


केसर तिलक मोतीयन की माला,

ब्रिन्दावन को वासी,

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


काहू के मन की कोवु न जाने,

लोगन के मन हासी,

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


सूरदास प्रभु तुम्हारे दरस बिन,

लेहो करवट कासी,

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ

अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥


जबलपुर में काली विराजी है(Jabalpur Mein Kali Viraji Hai)

जबलपुर में काली विराजी है,
तरसे मोरी अंखियां,

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

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