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आदियोगी दूर उस आकाश की गहराइयों में (Adiyogi door us aakash ke gaharaiyon mein)

दूर उस आकाश की गहराइयों में,

एक नदी से बह रहे हैं आदियोगी,

शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं,

मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी,

योग के स्पर्श से अब योगमय करना है तन-मन,

साँस सास्वत सनन सनननन,

प्राण गुंजन धनन धन-धन,

उतरे मुझमे आदियोगी,

योग धारा चलत छण छण,

साँस सास्वत सनन सनननन,

प्राण गुंजन धनन धन-धन,

उतरे मुझमे आदियोगी,

उतरे मुझमे आदियोगी..


पीस दो अस्तित्व मेरा,

और कर दो चूरा चूरा,

पूर्ण होने दो मुझे और,

होने दो अब पूरा पूरा,

भस्म वाली रस्म कर दो आदियोगी,

योग उत्सव रंग भर दो आदियोगी,

बज उठे यह मन सितरी,

झणन झणन झणन झणन झन झन,


साँस सास्वत सनन सनननन,

प्राण गुंजन धनन धन-धन..

साँस सास्वत सनन सनननन,

प्राण गुंजन धनन धन-धन..


साँस सास्वत सनन सनननन,

प्राण गुंजन धनन धन-धन..


साँस सास्वत..

प्राण गुंजन..


उतरे मुझमे आदियोगी,

योग धारा छलक छन छन,

साँस सास्वत सनन सनननन,

प्राण गुंजन धनन धन-धन,

उतरे मुझमे आदियोगी..

उतरे मुझमे आदियोगी..

यही है प्रार्थना प्रभुवर (Yahi Hai Rrarthana Prabhuvar Jeevan Ye Nirala Ho)

सरलता, शीलता, शुचिता हों भूषण मेरे जीवन के।
सचाई, सादगी, श्रद्धा को मन साँचे में ढाला हो॥

नौकरी प्राप्ति पूजा विधि

भारत देश में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। इसका कारण नौकरियों का न होना है। इसी कारण से आज के समय में एक अच्छी नौकरी पाना बहुत से लोगों की जरूरत है। सभी अपने घर का पालन पोषण करने के लिए नौकरी की तलाश में हैं।

अपने प्रेमी को मेरे बाबा, इतना भी मजबूर ना कर (Apne Premi Ko Mere Baba Itna Bhi Majboor Na Kar)

अपने प्रेमी को मेरे बाबा,
इतना भी मजबूर ना कर,

दिवाली से पहले हनुमान पूजा

हनुमान पूजा या जयंती को लेकर लोगों के मन में हमेशा संशय रहता है, क्योंकि साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है।

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