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आई सिंघ पे सवार,
मईया ओढ़े चुनरी,
ओढ़े चुनरी,
मईया ओढ़े चुनरी ,
आई सिंघ पे सवार मईया ॥
आदि शक्ति है मात भवानी,
जय दुर्गे माँ काली,
बड़े बड़े राक्षस संघारे,
रण चंडी मतवाली,
करे भक्तों का,
उद्दार 'मईया ओढ़े चुनरी,
आई सिंघ पे सवार मईया ॥
महिषासुर सा महाँ बली,
देवों को ख़ूब सताया,
छीन लिया इन्द्रासन और,
देवों को मार भगाया,
करी देवों ने पुकार 'मईया ,
ओढ़े चुनरी आई,
आई सिंघ पे सवार मईया ॥
दुर्गा का अवतार लिया झट,
महिषासुर संघारी,
दूर किया देवों का संकट,
लीला तेरी न्यारी,
किया देवों पे उपकार 'मईया,
ओढ़े चुनर आई,
सिंघ पे सवार मईया ॥
जो कोई जिस मनसा से मईया,
द्वार तिहारे जाता,
हर इच्छा होती पूरी और,
मँह माँगा फल पता,
तेरा गुण गावे संसार 'मईया,
ओढ़े चुनरी,
आई सिंघ पे सवार मईया ॥