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आया बुलावा भवन से (Aaya Bulawa Bhawan Se)

आया बुलावा भवन से,

मैं रह ना पाई ॥


श्लोक – तेरे दरश की धुन में माता,

हम है हुए मतवाले,

रोक सकी ना आंधियां हमको,

ना ही बादल काले,

चढ़ चढ़ कठिन चढ़ाइया,

बेशक पाँव में पड़ गए छाले,

फिर भी तेरे दर आ पहुंचे,

हम है किस्मत वाले ॥


तेरी जय हो भवानी,

जय जय महा रानी ॥


आया बुलावा भवन से,

मैं रह ना पाई

अपने पति संग चढ़ के चढ़ाई,

नंगे पाँव आई,

लाल चुनरी चढाऊं, जय हो माँ,

तेरी ज्योति जगाऊं, जय हो माँ,

बस इतना वर चाहूँ,

मैं बस इतना वर पाऊं,

दर्शन को हर साल,

सदा सुहागन ही आऊं ॥


तेरी जय हो भवानी,

जय जय महा रानी ॥


हे अखंड ज्योत वाली माता,

मेरा भी अखंड सुहाग रहे,

सदा खनके चूड़ियाँ मेरे हाथों में,

सिंदूर भरी ये मेरी मांग रहे |

महके परिवार, जय हो माँ,

रहे खिली बहार, जय हो माँ,

कलियों की तरह मुस्काऊँ,

कलियों की तरह मुस्काऊँ,

दर्शन को हर साल,

सदा सुहागन ही आऊं ॥


तेरी जय हो भवानी,

जय जय महा रानी ॥


अपने भक्तो पर करती हो,

उपकार सदा,

ममता के खोले रहती हो,

भण्डार सदा,

मैं तो आई तेरे द्वार, जय हो माँ,

मेरे भाग्य सवार, जय हो माँ,

तेरी नित नित ज्योत जगाऊं,

तेरी नित नित ज्योत जगाऊं,

दर्शन को हर साल,

सदा सुहागन ही आऊं ॥


तेरी जय हो भवानी,

जय जय महा रानी ॥


मुझको वर दो मेरा स्वामी,

तेरी भक्ति में मगन रहे,

जब तक यह जीवन रहे ‘सरल’,

‘लक्खा’ को तेरी लगन रहे,

तेरा सच्चा दरबार, जय हो माँ,

तेरी महिमा अपार, जय हो माँ,

चरणों में शीश नवाऊं,

चरणों में शीश नवाऊं,

दर्शन को हर साल,

सदा सुहागन ही आऊं ॥


तेरी जय हो भवानी,

जय जय महा रानी ॥


आया बुलावा भवन से,

मैं रह ना पाई

अपने पति संग चढ़ के चढ़ाई,

नंगे पाँव आई,

लाल चुनरी चढाऊं, जय हो माँ,

तेरी ज्योति जगाऊं, जय हो माँ,

बस इतना वर चाहूँ,

मैं बस इतना वर पाऊं,

दर्शन को हर साल,

सदा सुहागन ही आऊं ॥

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले (Buha Khol Ke Maaye Zara Tak Te Le)

बुहा खोल के माये,
जरा तक ते ले,

मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे(Maiya Tumko Manave Tere Bhakt Re)

मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे,
तेरे भक्त रे,

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हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥

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