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आ रही है पालकी (Aa Rahi Hai Palki)

आ रही है पालकी,

भोलेनाथ शम्भू महाकाल की,

हार फूल धूप बत्ती,

हाथ में है थाल प्रसाद,

शम्भू महाकाल की,

आ रही हैं पालकी,

भोलेनाथ शम्भू महाकाल की ॥


हाथी घोड़े आगे बाजे बैंड बाजे,

देखी झांकी कमाल की,

कोई भूत कोई भोले,

आते जाते हर एक बोले,

जय शम्भू महाकाल की,

साँस चढती आस बढ़ती,

दर्शनों की ललक,

शंभू महाकाल की,

आ जाये सुकून धडकनौ को,

जो दिखे सवारी की झलक,

शम्भू महाकाल की ॥


दुख घटेंगैं सुख बढ़ेंगे,

अपने भक्तों के भरेंगे घाव,

महाकाल जी,

किरपा की तिरपाल रहती,

हैं ये पूरे साल सर पर,

महाकाल की,

जितनी नजर मिले,

उतनी मिले नजर,

महाकाल की,

करम है भरम है,

जीवन में भरे रंग है,

इक नजर मेरे महाकाल की ॥


आ रही है पालकी,

भोलेनाथ शम्भू महाकाल की,

हार फूल धूप बत्ती,

हाथ में है थाल प्रसाद,

शम्भू महाकाल की,

आ रही हैं पालकी,

भोलेनाथ शम्भू महाकाल की ॥


तेरी जय हों जय हों, जय गोरी लाल(Teri Jay Ho Jay Ho Jay Gauri Lal)

तेरी जय हो जय हो,
जय गोरी लाल ॥

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

रंगीलो मेरो बनवारी(Rangilo Mero Banwari)

मोहिनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,

सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ (Sakhi Ri Bank Bihaari Se Hamari Ladgayi Akhiyan)

सखी री बांके बिहारी से
हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।

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