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तुम भी बोलो गणपति, और हम भी बोले गणपति ॥
नाम ना जाने, धाम ना जाने जाने ना सेवा पूजा
तुलसा कर आई चारों धाम, जाने कहां लेगी विश्राम ।
तुम्हे वंदना तुम्हें वंदना, हे बुद्धि के दाता,
हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।
तुम्हारी याद आती है, बताओ क्या करें मोहन,
तुम्हारी जय हो वीर हनुमान, ओ रामदूत मतवाले हो बड़े दिल वाले,
तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है,
तुम शरणाई आया ठाकुर तुम शरणाई आया ठाकुर ॥
तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे,