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जय हो, जय हो शंकरा भोलेनाथ, शंकरा
रघुपति राघव राजाराम । पतितपावन सीताराम ॥
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् ।
नमस्कार भगवन तुम्हें, भक्तों का बारम्बार हो,
नमामि श्री गणराज दयाल, करत हो भक्तन का प्रतिपाल,
मैंने पाया नशा है, मेरा बस तुझमे,
नमो नमो नमो नमो ॥ श्लोक – सतसाँच श्री निवास,
हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे, नमामी राधे नमामी कृष्णम,
नमामि-नमामि अवध के दुलारे । खड़ा हाथ बांधे मैं दर पर तुम्हारे ॥
नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥